मंगलवार, 12 सितंबर 2017

मानवतावाद की परिभाषा

एम. एन. राय के अनुसार -‘‘नवीन मानवतावाद व्यक्ति को सम्प्रभुता की घोषणा करता है। वह इस मान्यता को लेकर चलता है कि एक ऐसे समाज का निर्माण करना सभंव है जो तर्क परआधारित हो तथा नैतिक हो क्योंकि मनुष्य प्रकृति से ही तर्कशील विवेकी एवं नैतिक प्राणी है नवीन मानवतावाद विश्वव्यापी है।’’

मानवतावाद के संबंध में पंडित तवाहरलाल नेहरू ने कहा था, ‘‘ पर सेवा , पर सहायता आरै पर हितार्थ कर्म करना ही पूजा है और यही हमारा धर्म है यही हमारी इंसानियत है।’’

खलील जिब्रान के अनुसार -‘‘मानव जीवन प्रकाश की वह सरिता है जो प्यासो को जल प्रदान कर उनके जीवन मे व्याप्त अंधकार को दरू भगाती है।’’

प्रो. आरनोल्ड टॉयनबी के अनुसार -‘‘ भारतीय संस्कृति विश्व की सर्वश्रेष्ठ सस्ं कृति इसलिए स्वीकार्य की जाती है क्योंकि इसमें मानव जीवन का लक्ष्य ‘स्व’ नही वरन ‘पर’ का भाव है। मानवतावादी मानव कल्याण के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिये वे धर्म परम सत्य संस्कृति पर हित के लिये हसं ते हसं ते शहीद हो गए। यथार्थ में जो व्यक्ति स्व सुख स्व हित आरै स्व अर्थो तक सीमित रहता है वह पशु तुल्य है। वही मानव सही अर्थो में मानव है जो दूसरो के लिये जिए मनुष्य को अपने अंदर की बुराइयो का अन्त करने प्रयास करना चाहिए तथा मानवीय गुणो का विकास करना चाहिए। मानवतावाद दया प्रेम परोपकार अहिंसा करूणा त्याग दानशीलता सदभावना सच्चरित्रता आ त्मबल निर्भयता तथा धर्माचरण आदि विशिष्ट गुणों के कारण मानव र्इश्वर की सर्वश्रेष्ठ कृति है। जिसे मानवीय मूल्यो के कारण ही जिन्दा है उनके अभाव में मानव व मानवता निश्प्राण निर्जीव हो जायेगा।