शनिवार, 11 मार्च 2023

भक्ति काल

📝 भक्तिकाल-

- आचार्य शुक्ल ने भक्तिकाल का वर्गीकरण निम्न प्रकार से किया है-
भक्ति काल निगुण (ज्ञानाश्रयी) (प्रेयाश्रयी)
संतकाव्य सूफी काव्य
सगुण-
रामकाव्य
कृष्णकाव्य
( कबीर/ जायसी /तुलसीदास/ सूरदास)

✅ प्रमुख आचार्य एवं सिद्धान्त (सम्प्रदाय)
-
1. अद्वैतवाद - शंकराचार्य

2. विशिष्टाद्वैतवाद - रामानुजाचार्य

3. द्वैतवाद (ब्रह्मवाद) - मध्वाचार्य

4. द्वैताद्वैतवाद - निम्बकाचार्य

5. शुद्धादतै वाद - विष्णु स्वामी/वल्लभाचार्य

6. सखी/हरिदासी सम्प्रदाय- हरिदास

7. राधावल्लभी सम्प्रदाय - हितहरिवंश

8. रामावत सम्प्रदाय - रामानन्द

9. श्री सम्प्रदाय - रामानुजाचार्य

✅ संत काव्य की प्रमुख प्रवृतियाँ -
- निर्गुण निराकार ब्रह्म की उपासना।
- गुरू की महिमा
- ज्ञान की महिमा।
- रहस्यात्मकता-साधनात्मक एवं भावनात्मक रहस्यवाद
- बाहरी आडम्बरों का विरोध
- मानवतावादी दृष्टिकोण
- नारी विषयक दृष्टिकोण
- जाति प्रथा के विरूद्ध
- संसार की असारता का निरूपण
- उलटबांसी शैली का प्रयोग
- अपरिष्कृत भाषा - आचार्य शुक्ल ने इसे सधुकड़ी या पंचमेल खिचड़ी भाषा में कहा है।
- भाव पक्ष की प्रधानता

✅ प्रमुख संत एवं उनकी रचनाएं -
1. कबीर - (1398)
- बीजक नाम से इनकी रचनाओं का संकलन इनके शिष्य धर्मदास द्वारा किया गया। बीजक के तीन भाग है - 1. साखी 2. सबद 3.रमैनी

- श्यामसुन्दर दास ने इनकी रचनाओं का संकलन ‘कबीर ग्रन्थावली’ में किया।

- ये भक्त एवं कवि बाद में थे समाजसुधारक पहले थे।
- कबीर ने गुरू की महिमा, हठयोग साधना एवं कुण्डलिनीयोग नाथों से ग्रहण किया है।

- कबीर की उलटबांसियों पर सिद्धों का प्रभाव
- कबीर की भाषा को आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने सधुक्कड़ी या पंचमेल खिचड़ी कहा है।

- हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कबीर को ‘‘वाणी का डिक्टेटर’’ कहा है।

- सबद और रमैनी की भाषा ब्रज है।
- ये रामानन्द के 12 शिष्यों में प्रमुख थे।

2. गुरूनानक देव -
- ये सिख सम्प्रदाय के प्रवर्तक थे।
- इनका जन्म तलवण्डी (ननकाना साहिब) में 1469 को हुआ।
- प्रमुख रचनाएं - जपुजी, असादीबार, रहिराज, सोहिला, नसीहतनामा (खड़ी बोली में)

3. हरिदास निरन्जनी -
- ये निरन्जनी सम्प्रदाय के थे जो नाथ पंथ और संतकाव्य के बीच की कड़ी माना जाता है।
- प्रमुख रचनाएं - अष्टपदी, ब्रह्मस्तुति, हंस प्रबोध, संग्रामजोग, समाधि जोग

4. दादू दयाल (1544 ई.) -
- इन्होंने ‘‘दादूपंथ’’ का प्रवर्तन किया जो ‘‘परब्रह्म सम्प्रदाय’’ भी कहलाता है।
- इनकी रचनाओं का संकलन ‘‘हरड़ेवाणी’’ नाम से इनके शिष्य संतदास एवं जगन्ननाथदास ने किया।
- अन्य रचनाएं - अनभैपाणी, कायावेली, अंगबधू(रज्जबजी)
- अंगबधु का संकलन रज्जब ने किया
- इनकी भाषा ब्रज है

5. मलूकदास -
- प्रमुख रचनाएं - ज्ञानबोध, रतनखान, भक्तिविवेक, सुख-सागर, बारहखड़ी, ध्रुवचरित्र।
- आलसियों का महामंत्र - अजगर करे न चाकरी, पंछी करे न काम। दास मलूका कह गए, सबके दाता राम।।
- इनकी भाषा ब्रज एवं अवधी है

6. सुन्दरदास -
- ये दादूदयाल के षिष्य थे।
- ये सबसे प्रतिभाशाली एवं शिक्षित कवि थे।
- इनके ग्रंथों में ‘‘ज्ञान समुद्र’’ एवं ‘‘सुन्दर विलास’’ प्रसिद्ध है।
- ‘‘सुन्दर ग्रन्थावली’’का सम्पादन कार्य हरिनारायण शर्मा ने किया।
- ये शृंगार रस के परम विरोधी थे।
- इन्होंने केशव की ‘‘रसिकप्रिया’’ एवं नन्ददास ‘‘रसमंजरी’’ की निंदा की है।
- इन्होंनें छंदों एवं अलंकारों का शुद्ध प्रयोग किया।
- इनकी भाषा ब्रज है।

7. रैदास - (रविदास)
- ये रामानन्द के षिष्य थे तथा जाति से चमार थे।
- ये मीरा के गुरू भी माने जाते हैं।
- इनकी रचनाएं ‘‘रविदास की वाणी’’ शीर्षक से प्रकाशित है।
- इनकी भाषा ब्रज है।

8. अर्जुनदेव -
- ये ‘‘गुरू ग्रंथ साहिब’’ के सम्पादक थे।
- रचनाएं - सुखमणी, बावनक्षरी। संतकाव्य से सम्बन्धित महत्वपूर्ण तथ्य -
- नामदेव ने कबीर से पहले संतकाव्य की स्थापना की थी। ये महाराष्ट्र पण्डरपुर जिले के संत थे।
- निर्गुण पंथ के प्रवर्तक कबीर ही माने जाते हैं।
- संत काव्य में साधनात्मक रहस्यवाद अधिक मिलता है।

वन लाइनर

 📝 वन लाइनर 50 प्रश्नोतर 👇👇


1. ‘उद्धवशतक’ किसकी कृति है? उत्तर. जगन्नाथदास रत्नाकर
2. हिन्दी भाषा का जन्म हुआ है? उत्तर. पाली प्राकृत से
3. ‘पंच परमेश्वर’ के लेखक हैं? उत्तर. प्रेमचन्द
4. अवधी भाषा के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम क्या है? उत्तर. रामचरित मानस
5. स्थायी भावों की कुल संख्या कितनी है? उत्तर. 9
6. दोहा और रोला को क्रम से मिलाने पर कौन-सा छंद बनता है? उत्तर. कुण्डलिया
7. ‘हार की जीत’ (कहानी) के कहानीकार हैं? उत्तर. सुदर्शन
8. कामताप्रसाद गुरु का हिन्दी व्याकरण विषयक ग्रंथ, जो नागरी प्रचारिणी सभा, काशी से प्रकाशित हुआ था, उसका नाम था? उत्तर. हिन्दी व्याकरण
9. सबसे प्राचीन कौन सी वीरता है।? उत्तर. वाकवीरता
10. शब्दार्थों सहित काव्यम् यह उक्ति किसकी है? उत्तर. भामह

11. ‘अशोक के फूल’ (निबंध-संग्रह) के रचनाकार कौन हैं? उत्तर. हज़ारी प्रसाद द्विवेदी
12. लोगहिं लागि कवित्त बनावत, मोहिं तौ मेरे कवित्त बनावत॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं? उत्तर. घनानन्द
13. ‘जब-जब होय धर्म की हानी, बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी’। इस पंक्ति के रचयिता हैं? उत्तर. तुलसीदास
14. हिन्दी की मूल उत्पत्ति किससे हुई है? उत्तर. वैदिक संस्कृत
15. ‘आत्मनिर्भरता’ निबंध के रचनाकार हैं? उत्तर. बालकृष्ण भट्ट
16. ‘ठेले पर हिमालय’ किसकी रचना है? उत्तर. धर्मवीर भारती
17. ‘रानी केतकी की कहानी’ के रचयिता हैं? उत्तर. इंशा अल्ला ख़ाँ
18. ‘यह प्रेम को पंथ कराल महा तरवारि की धार पै धावनो है’, नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है? उत्तर. बोधा
19. हिन्दी भाषा में कितने वचन होते हैं? उत्तर. दो
20. भारत मित्र’ पत्र (जो कलकत्ता से सन् 1934 में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे? उत्तर. रुद्रदत्त शर्मा

21. ज्ञानपीठ पुरस्कार किस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है? उत्तर. साहित्य
22. ‘आकाशदीप’ कहानी के लेखक हैं? उत्तर. जयशंकर प्रसाद
23. ‘कामायनी’ किसकी रचना है? उत्तर. जयशंकर प्रसाद
24. ‘तोड़ती पत्थर’ कैसी कविता है? उत्तर. यथार्थवादी
25. ‘निराला’ को कैसा कवि माना जाता है? उत्तर. क्रान्तिकारी
26. भक्तिकाल की रामाश्रयी शाखा के निम्नलिखित में से कौन-से कवि हैं? उत्तर. तुलसीदास
27. उत्तर भारत में भक्ति का प्रसार करने का श्रेय किसे प्राप्त है? उत्तर. स्वामी रामानंद
28. निम्नलिखित में से कौन-सी भाषाएँ हाल ही में प्राचीन भाषाएँ घोषित की गई है? उत्तर. कन्नड़ एवं तेलुगु
29. ‘यह काम मैं आप कर लूँगा’, पंक्तियों में ‘आप’ है? उत्तर. निजवाचक सर्वनाम
30. मातृभूमि पर शीश चढ़ाने, जिस पथ जावें वीर अनेक

31. हिन्दी साहित्य का नौवाँ रस कौन-सा है? उत्तर. शांत रस
32. कबीर किस काव्य धारा के कवि हैं? उत्तर. ज्ञानमार्गी
33. डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य केशवदास पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?? उत्तर. केशव की काव्यकला
34. व्याकरण की दृष्टि से ‘प्रेम’ शब्द क्या है? उत्तर. भाववाचक संज्ञा
35. चौपाई के चारों चरणों में कितनी मात्राएँ होती है? उत्तर. सोलह
36. हिन्दी का पहला दैनिक समाचार-पत्र कौन-सा था? उत्तर. उतण्ड मार्तण्ड
37. ‘आनन्द कादम्बिनी’ पत्रिका के सम्पादक कौन थे? उत्तर. चौधरी बदरीनारायण प्रेमघन
38. ‘धातुसेन’ प्रसाद के किस नाटक का पात्र है? उत्तर. स्कंदगुप्त
39. निम्नलिखित शब्दों में से किसमें व्यंजन संधि है? उत्तर. सत्कार
40. ‘रसिक प्रिया’ के रचयिता हैं? उत्तर. केशवदास

41. निम्नलिखित में से अर्द्ध स्वर कौन-सा है? उत्तर. य
42. भरतमुनि ने अपभ्रंश को नाम दिया है? उत्तर. अशुद्धभाषा
43. चोल शासकों की भाषा क्या थी? उत्तर. तमिल
44. ‘जनमेजय का नागयज्ञ’ किसकी कृति हैं? उत्तर. जयशंकर प्रसाद
45. छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है? उत्तर. रहस्यवाद
46. काव्य क्षेत्र में ‘प्रबन्ध शिरोमणि’ की उपाधि किसे दी गई है? उत्तर. मैथिलीशरण गुप्त
47. ‘तोड़ती पत्थर’ (कविता) के कवि हैं? उत्तर. सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’
48. कौन-सी बोली पश्चिमी हिन्दी की नहीं है? उत्तर. बघेली बोली
49. इनमें संयुक्त व्यंजन कौन-सा है? उत्तर. ज्ञ
50. ‘जायसी -ग्रंथावली’ के सम्पादक का नाम है? उत्तर. रामचन्द्र शुक्ल
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गुरुवार, 9 मार्च 2023

संज्ञा की परिभाषा



🙇‍♂ (संज्ञा की परिभाषा)

संसार के किसी भी प्राणी, वस्तु, स्थान, जाति या भाव, दशा आदि के नाम को संज्ञा (Sangya) कहते हैं|
निम्नलिखित उदाहरण से हम संज्ञा तथा उनके प्रकार आसानी से समझ सकते हैं-
भारत एक विकासशील देश है
नरेन्द्र मोदी भारत के सजग नेता हैं
गंगा एक पवित्र नदी है
कुरान मुसलमानों का पवित्र ग्रन्थ है
आज मोहन बहुत खुश है.
त्योहार हमारे घर खुशियां लाता है.
क्रिकेट भारत का लोकप्रिय खेल है.
मोहन रोज़ दो गिलास दूध और चार अंडे खाता है

ऊपर लिखे वाक्यों में सभी चिन्हित शब्द संज्ञा के किसी ना किसी प्रकार हैं.
भारत– देश का नाम
नरेन्द्र मोदी, मोहन – व्यक्ति का नाम
गंगा – नदी का नाम
कुरान – ग्रन्थ का नाम
मुसलमानों – विशेष समुदाय का नाम
ग्रन्थ – किताब की विशेष श्रेणी का नाम
क्रिकेट – खेल का नाम
गिलास – बर्तन का नाम
दूध, अंडा – खाद्य पदार्थ का नाम
खुशियां – विशेष मनः स्थिति (भाव) का नाम

🙇‍♂ संज्ञा के भेद – :
1 . व्यक्तिवाचक संज्ञा - गुलाब, दिल्ली, इंडिया गेट, गंगा, राम आदि
2 . जातिवाचक संज्ञा – गधा, क़िताब, माकन, नदी आदि
3. भाववाचक संज्ञा - सुंदरता, इमानदारी, प्रशन्नता, बईमानी आदि

जातिवाचक संज्ञा के दो उपभेद हैं –
4. द्रव्यवाचक संज्ञा  तथा
5. समूहवाचक संज्ञा

इन दो उपभेदों को मिला कर संज्ञा के कुल 5 प्रकार को जाते हैं|

अब संज्ञा के सभी प्रकार का विस्तृत वर्णन नीचे किया गया है-

1. व्यक्तिवाचक संज्ञा
जिन शब्दों से किसी विशेष व्यक्ति, विशेष प्राणी, विशेष स्थान या किसी विशेष वस्तु का बोध हो उन्हें व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते है.

जैसे- रमेश (व्यक्ति का नाम), आगरा (स्थान का नाम), बाइबल (क़िताब का नाम), ताजमहल (इमारत का नाम), एम्स (अस्पताल का नाम) इत्यादि.


2. जातिवाचक संज्ञा
वैसे संज्ञा शब्द जो की एक ही जाति के विभिन्न व्यक्तियों, प्राणियों, स्थानों एवं वस्तुओं का बोध कराती हैं उन्हें जातिवाचक संज्ञाएँ कहते है।
कुत्ता, गाय, हाथी, मनुष्य, पहाड़ आदि शब्द एकही जाति के प्राणियों, वस्तुओं एवं स्थानों का बोध करा रहे है।

जातिवाचक संज्ञा के अंतर्गत निम्नलिखित दो है –
(क) द्रव्यवाचक संज्ञा

जिन संज्ञा शब्दों से किसी पदार्थ या धातु का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है ।

जैसे – दूध, घी, गेहूँ, सोना, चाँदी, उन, पानी आदि द्रव्यवाचक संज्ञाएँ है।

(ख) समूहवाचक संज्ञा -
जो शब्द किसी समूह या समुदाय का बोध कराते है, उन्हें समूहवाचक संज्ञा कहते हैं।

जैसे – भीड़, मेला, कक्षा, समिति, झुंड आदि समूहवाचक संज्ञा हैँ।

व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग:
व्यक्तिवाचक संज्ञाएँ कभी कभी ऐसे व्यक्तियों की ओर इशारा करती हैं, जो समाज में अपने विशेष गुणों के कारण प्रचलित होते हैं। उन व्यक्तियों का नाम लेते ही वे गुण हमारे मस्तिष्क में उभर आते है, जैस-

हरीशचंद्र (सत्यवादी), महात्मा गांधी (मकात्मा), जयचंद (विश्वासघाती), विभीषण (घर का भेदी), अर्जुन (महान् धनुर्धर) इत्यादि। कभी कभी बोलचाल में हम इनका इस्तेमाल इस प्रकार कर लेते हैं-

1. इस देश में जयचंदों की कमी नहीं । (जयचंद- देशद्रोही के अर्थ में)
2.  कलियुग में हरिशचंद्र कहां मिलते हैं । (हरिशचंद्र- सत्यवादी के अर्थ में प्रयुक्त)
3.  हमेँ देश के विभीषणों से बचकर रहना चाहिए । (विभीषण- घर के भेदी के अर्थ में प्रयुक्त)

जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग-
कमी-कभी जातिवाचक संज्ञाएँ रूढ हो जाती है । तब वे केवल एक विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने लगती हैं- जैसे:
पंडितजी हमारे देश के प्रथम प्रधानमंत्री थे।
यहाँ ‘पंडितजी’ जातिवाचक संज्ञा शब्द है, किंतु भूतपूर्व प्रधानमंत्री ‘पंडित जवाहरलाल नेहरू’ अर्थात् व्यक्ति विशेष के लिए रूढ़ हो गया है । इस प्रकार यहाँ जातिवाचक का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में प्रयोग किया गया है।
राष्ट्रपिता गांधी जी ने हरिजनों का उद्धार किया । (राष्ट्रपिता गांधी)
नेता जी ने कहा- “तुम मुझे खून दे, मैं तुम्हें आजादी कूँरा । (नेता जी – सुभाष चंद्र बोस)

3. भाववाचक संज्ञा –
जो संज्ञा शब्द गुण, कर्म, दशा, अवस्था, भाव आदि का बोध कराएँ उन्हें भाववाचक संज्ञाएँ कहते है।
जैसे – भूख, प्यास, थकावट, चोरी, घृणा, क्रोध, सुंदरता आदि। भाववाचक संज्ञाओं का संबंध हमारे
भावों से होता है । इनका कोई रूप या आकार नहीं होता । ये अमूर्त