सोमवार, 12 जून 2023

“तुलसी – मानस की सांस्कृतिक सम्पदा का वैश्विक अवदान”



नाना पुराणनिगमागमादि का सार-संकलन है गोस्वामी तुलसीदास जी का ‘रामचरित्र मानस’।यह एक ऐसा ग्रंथ है, जिसमें विराट विश्व-जीवन अपनी सम्पूर्णता के साथ अनुभूति का विषय बनकर सहज समाहित है। इसकी सांस्कृतिक सम्पदा देश काल की सीमा से परे सार्वदेशिक और सार्वकालिक है। रसात्मक भाषा में व्यक्त किए गए इसके करणीय और वर्जनीय आचारपरक उपदेश किसी भी युग के मानव-समाज के जीवन और विकास के लिए अमृत के समान हैं।जीवन और जगत से सम्बन्धित कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है, जिसे इसकी सांस्कृतिक प्रवाह-धारा ने मांज कर चमकाया न हो। इसकी संस्कृति में जीवित रहने का अभ्यास कर लेने वाला किसी भी युग का कोई भी मानव-समाज युग-युगान्त तक के लिए अमर हो सकता है।कहां जाता है कि-“ यन्न मानसे तन्नमानसे”। अर्थात जो तुलसी कृत रामचरितमानस में नहीं है, वह किसी के मानस में नहीं है। इस प्रकार रामचरितमानस की सांस्कृतिक सम्पदा विश्वमात्र के लिए कितनी उपयोगी है, इसकी परख करने के लिए सम्पूर्ण विषय वस्तु को निम्न अध्यायों में विभाजित करके अध्ययन-विश्लेषणीय बनाया गया है।
1- भूमिका
2- अध्याय : प्रथम
रामकथा में तुलसी-मानस का स्थान।
क- वैदिक साहित्य में रामकथा -सूत्र की खोज
ख- पुराणेतिहास – ग्रंथों में राम – कथा का बदलता स्वरूप।
ग- रामायण – ग्रंथों में राम- कथाएं, 1- घटना- साम्य 2- घटना- वैषम्य 3-अतिरंजन पूर्ण घटना- प्रसंग,
घ- धार्मिक ग्रंथों में राम-कथाएं 1- मूलकथा 2- प्रासंगिक कथा
ङ- जनश्रुति में राम-कथाएं
च- लोक- साहित्य में रामकथा – प्रसंगों की अवधारणा 1- कथा- साहित्य 2- प्रहसन- साहित्य 3- गीत- साहित्य
छ- संस्कृत साहित्य में रामकथा -1-नाट्य साहित्य 2-महाकाव्य 3- खंड काव्य 4- अन्य साहित्य
ज- हिन्दी साहित्य में रामकथाएं 1- पद्य साहित्य 2- गद्य साहित्य
झ- रामकथा में अध्ययन की दिशाएं:1- राजनीतिक 2- सामाजिक 3- धार्मिक 4- वैज्ञानिक 5- प्रतीकात्मक 6- मनोविश्लेषणात्मक
3- अध्याय : द्वितीय- सांस्कृति:स्वरूप -विश्लेषण
क- अर्थ (धात्वर्थ,कोशगत अर्थ, रूढ़ अर्थ)
ख- परिभाषा (भारतीय विद्वानों की परिभाषा, पाश्चात्य विद्वानों की परिभाषा)
ग- अंग- 1- भौतिक 2- अभौतिक
घ- संस्कृति और सभ्यता
ङ- संस्कृति की उपादेयता
च- भारतीय संस्कृति की उपादेयता
छ- भारतीय संस्कृति की विशेषताएं
4- अध्याय: तृतीय – संस्कृति और संस्कार
क- संस्कार अर्थ और परिभाषा
ख- हिन्दू संस्कार (सनातन संस्कार)
ग- इस्लामिक संस्कार
घ- ईसाई संस्कार
ङ- सम्प्रदायगत संस्कारों की मूल आत्मा
च- संस्कार और संस्कृति का अन्तर्सम्बन्ध
छ- अन्योन्याश्रयत्व
5- अध्याय : चतुर्थ – संस्कृति और लोक संस्कृति
क- लोकजीवन – दर्शन
ख- लोकरीतियां
ग- लोक- कलाएं
घ- लोक- साहित्य
ङ- लोक- चिकित्सा
च- लोकधर्म
छ- लोकगीत – संगीत
ज- लोकनृत्य
झ- लोकपर्व एवं उत्सव
ञ- अन्य
6- अध्याय : पंचम – भारतीय संस्कृति का क्रमबद्ध अध्ययन
क- सिन्धु संस्कृति
ख- वैदिक संस्कृति
ग- सूत्र संस्कृति
घ- पौराणिक संस्कृति
ङ- महाकाव्य संस्कृति
च- संस्कृतियों का स्वरूप विकास (परिवर्तन)
छ- आदिम संस्कृति का अनुमान
7- अध्याय : षष्ठ – तुलसी -मानस की सांस्कृतिक सम्पदा
क- धर्म
ख- दर्शन
ग- गीत -संगीत
घ- नृत्त-नृत्य
ङ- साहित्य
च- विज्ञान (1-आध्यात्म विज्ञान 2- पदार्थ विज्ञान)
छ- योगविद्या
ज- रोगोपचार पद्धति
झ- सम्भाषण शैलियां
ञ- विविध जीवनानुभूतियां
ट- सम्पूर्ण जीवन -दर्शन
ठ- मरणोत्तर जीवन
ड- परम्पराएं और मान्यताएं
ढ- अन्य
8- अध्याय:सप्तम् :- वैश्विक अवदान
क- आदर्शोन्मुखी यथार्थ जीवन -दशा का ज्ञान
ख- आदिम मनोवृत्तियों का मार्जन- विधान
ग- पाशव- प्रवृत्तियों का मानवीकरण
घ- कृणवन्तो -विश्वमार्यम
ङ- सभ्यता का पथ प्रदर्शन
च- संवेदना का सम्यक विकास
छ- चरित्र निर्माण
ज- सामुदायिक जीवन का विकास
झ- कृषि और ऋषि संस्कृति का समन्वय
ञ- मानवीय मूल्यों की स्थापना
ट- वैज्ञानिक जीवन दृष्टि
ठ- शुष्क बुद्धिवाद पर संवेदना का नियंत्रण
ड- संस्कार बद्ध जीवन की प्रेरणा
ढ- आस्तिक बुद्धि का विकास
ण- मानव मूल्यों पर आधारित वैश्वीकरण का पथ प्रदर्शन
त- आनन्द वाद की प्रतिष्ठा
9- उपसंहार
10- संदर्भ – ग्रंथ सूची

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