सोमवार, 29 जून 2020

भारतीय काव्य शास्त्र

डॉ मिथिलेश कुमार त्रिपाठी
 एसोसिएट प्रोफेसर/ कार्यक्रम अधिकारी राष्ट्रीय सेवा योजना पीजी कॉलेज पट्टी प्रतापगढ़                 
भारतीय काव्यशास्त्र महत्त्वपूर्ण प्रश्नोत्तर :-

🔴वास्तविक काव्यलक्षण का प्रारंभ किस आचार्य से होता है जिन्होंने शब्द और अर्थ के सहभाव (शब्दार्थोसहितौ काव्यम् ) को काव्य की संज्ञा दी है --> भामह से

🔴शब्द अर्थ संगम सहित भरे चमत्कृत भाय।
जग अद्भुत में अद्भुतहिँ , सुखदा काव्य बनाए ॥
पंक्ति है --> ग्वाल कवि (रसिकानंद)

🔴प्रतिभा के दो भेद (सहजा और उत्पाद्या ) किसने किये --> रुद्रट ने

🔴प्रतिभा को काव्य निर्माण का एकमात्र हेतु मानने के कारण किस आचार्य के प्रतिभावादी कहा जाता है --> पंडितराज जगन्नाथ को

🔴प्रतिभा के दो भेद 'कारयित्री' और 'भावयित्री' किस आचार्य ने किए हैं --> राजशेखर ने

🔴भावयित्री प्रतिभा किसमे होती है --> सहृदय में

🔴भारतीय काव्यशात्र में 'भावक' से अभिप्राय है? --> सहृदय या आलोचक से

🔴"शरीरं तावदिष्टार्थ व्यवच्छिन्ना पदावली" कथन किसका है--> दण्डी का

🔴रीति सिद्धांत की उपलब्धि है --> शैली तत्वों को महत्व देना

🔴वामन के अनुसार गुण और रीति का संबंध है --> अभेद

🔴आचार्य कुंतक के अनुसार वक्रोक्ति के कितने भेद हैे --> 6

🔴वक्रोक्ति सिद्धांत की महत्वपूर्ण उपलब्धि है--> कलावाद की प्रतिष्ठा

🔴कवः कर्म काव्यम् , (कवि का कर्म ही काव्य है ) कथन किसका है --> कुन्तक का

🔴औचित्य विचार चर्चा , ग्रंथ किस आचार्य का है --> क्षेमेंद्र का

🔴क्षेमेंद्र के अनुसार औचित्य के प्रधान भेद हैं--> 27

🔴क्षेमेंद्र ने रस का प्राण किसे माना है --> औचित्य को

🔴ध्वन्यालोक की टीका 'ध्वन्यालोकलोचन' किसने लिखी --> अभिनवगुप्त ने

🔴ध्वनि सिद्धांत का प्रादुर्भाव व्याकरण के स्पोट सिद्धांत से हुआ है

🔴वैयाकरण ने वाक् (वाणी) के कितने प्रकार माने है?--> 4
१• परा, 2• पश्यंती, ३• मध्यम, ४• बैखरी

🔴आनन्दवर्धन का समय है --> नवीं शती का मध्य

🔴आनन्दवर्धन ने व्यंग्यार्थ के तारतम्य के आधार पर काव्य के कितने भेद किये है--> 3 ; ध्वनि, गुणिभूत व्यंग, चित्र

🔴आनन्दवर्धन ने ध्वनि के कितने प्रकार माने है--> 3 ;
 वस्तु ध्वनि, अलंकार ध्वनि,रसध्वनि

🔴आनंद वर्धन के अनुसार रीति के चार नियामक है --> वक्त्रोचित्य , वाच्योचित्य , विषयोचित्य , रसोचित्य

🔴अभिनव गुप्त ने ध्वनि के कितने भेद किए हैं --> 35

🔴मम्मट ने के ध्वनि के शुद्ध भेदों की संख्या स्वीकार की है --> 51

🔴पंडित राज जगन्नाथ काव्य के कितने भेद किए हैं --> 4
उत्तमोत्तम--> उत्तम--> मध्यम--> अधम

🔴आचार्यो ने व्यंग्यार्थ की प्रधानता गौणता एवं अभाव के आधार पर काव्य के कितने भेद किए हैं --> 3 ; उत्तम --> मध्यम--> अधम

🔴आधुनिक काल के प्रारंभिक समय में से सेठ कन्हैयालाल पौद्दार ने काव्यकल्पद्रुम नामक ग्रंथ की रचना की जो आगे चलकर रसमंजरी और अलंकार मंजरी के रुप में प्रकाशित हुआ

🔴हृदयदर्पण नामक ग्रंथ की रचना किसने की --> भट्टनायक ने

🔴हिंदी वक्रोक्ति जीवित की भूमिका किसने लिखी --> नगेंद्र ने

🔴रस निरुपण के प्रथम व्याख्याता और रस निरुपण का प्रथम ग्रंथ किसे माना जाता है --> भरत मुनि व उनके नाट्यशास्त्र को

🔴भरत ने 8 स्थाई भाव , 8 सात्विक भाव, 33 संचारी भावों का उल्लेख किया है

🔴किस आचार्य ने रीति को काव्य की आत्मा मान कर रस के गुण के अंतर्गत स्थान दिया है और कांति गुण का वर्णन करते हुए रस से युक्त माना है --> वामन

🔴आचार्य रुद्रट ने शांत रस का स्थाई भाव किसे माना है --> समयक ज्ञान

🔴रस को ध्वनि के साथ युक्त करने का श्रेय किसे है --> आनंद वर्धन को

🔴भोज ने 12 रसों का विवेचन किया है जिनमें चार नवीन है --> प्रेयस--> शांत--> उदात्त--> उध्दात

🔴भोज ने रस का मूल किसे माना है--> अहंकार को

🔴वाक्य रसात्मक काव्यम् कथन किसका है --> विश्वनाथ का

🔴आचार्य शुक्ल ने काव्य की आत्मा किसे माना है--> रस को

🔴भट्टलोल्लक ने रस की अवस्थिति किसमें मानी है--> अनुकार्य में

🔴किस आचार्य ने रस सूत्र की व्याख्या के संधर्भ में काव्य में तीन शक्तियों की कल्पना की (अभिधा, भावक्त्व, भोजकत्व) -->भट्टनायक ने

🔴अभिनव गुप्त रस को मानते हैं --> व्यंग

🔴किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि की अनुभूति का होता है --> नगेंद्र के अनुसार

🔴भारतीय काव्यशास्त्र में भावक से अभिप्राय है --> सहृदय या आलोचक से

🔴भावक(सहदय्) के कितने प्रकार माने गए है --> 4
१ अरोचकी [विवेकी], २ सतृणाभ्यव्हारि [अविवेकी], ३ मत्सरी [पक्षपात पूर्ण आलोचना करने वाला], ४ तत्त्वाभिनिवेशी

🔴विभाव के कितने भेद हैं --> 2[आलम्बन और उद्दीपन ]
आलंबन विभाव के कितने भेद हैं --> 2 ; १•आलंबन २•आश्रय

🔴सात्विक अनुभाव की संख्या कितनी मानी गई है --> आठ

🔴आचार्य शुक्ल ने विरोध और अविरोध के आधार पर संचारियों के कितने वर्ग किये हैं --> चार ;
१• सुखात्मक २• दु:खात्मक ३• उभयात्मक ४• उदासीन

🔴श्रृंगार को मूल रस किस आचार्य ने माना है--> भामह ने

🔴भक्ति रस का रस को मूल रास किसने माना है--> मधुसूदन सरस्वती एव रूप गोस्वामी ने

🔴शंकुक के अनुसार भरतमुनि के रस सूत्र में आये “संयोग ” शब्द का अर्थ है --> अनुमान

🔴रस सिद्धांत के संबंध में तन्मयतावाद के प्रतिष्ठापक है--> अभिनव भरत

🔴एक के बाद एनी अनेक भावों का उदय होता है तो उसे कहते है --> भाव सबलता

🔴अवहित्था और अपस्मार क्या है ?--> संचारी भाव का एक प्रकार

🔴किस आलोचक के मतानुसार साधारणीकरण कवि भावना का होता है --> नगेंद्र

🔴अभिधा, भावकत्व और भोग काव्य के तीन व्यापार किस आचार्य ने माने हैं --> भट्टनायक ने

🔴भाव-सन्धि, भाव सबलता तथा भाव-शांति किस भाव की प्रमुख स्थितियां है --> संचारी भाव की

🔴अलंकार संप्रदाय के प्रतिष्ठापक आचार्य है --> भामह

🔴भरत मुनि ने कितने अलंकारों का उल्लेख किया है ? --> 4
१• उपमा २• रूपक ३• दीपक ४• यमक

🔴अलंकार रत्नाकर नामक ग्रंथ के रचयिता है --> शोभाकर मित्र

🔴दण्डी ने गुणों की संख्या कितनी मानी है --> 10

🔴आचार्य भोज ने अनुसार गुणों की संख्या है --> 24

🔴वामन ने गुणों की संख्या मानी है --> 20

🔴मम्मट, भामह तथा आनंद वर्धन ने गुणों के भेद माने है --> 3
🔴गुणों के प्रमुख भेद है --> 3
१• माधुर्य, १• औज, ३• प्रसाद

🔴वृत्ति का सर्वप्रथम वर्णन किस ग्रंथ में मिलता है--> नाट्यशास्त्र में

🔴भारतीय काव्यशास्त्र में कितनी काव्य वृत्तियां मानी ग मानी गई है --> 3
१• परुषा
२• कोमल
३• उपनागरी

🔴सर्वप्रथम दोष की परिभाषा किस आचार्य ने प्रस्तुत की--> वामन ने

🔴दंडी में कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है --> 10

🔴वामन ने कितने काव्य दोषों का वर्णन किया है --> 20

🔴विश्वनाथ ने कितने दोषों का वर्णन किया है --> 70

🔴काव्य दोषो का सर्वप्रथम निरुपण किस ग्रंथ में मिलता है --> भारत कृत नाट्य शास्त्र में

🔴दस के स्थान पर तीन काव्य गुणों की स्वीकृति प्रथम किस आचार्य ने की--> भामह ने

🔴प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य ने की।--> रुद्रट

🔴आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा--> आचार्य विश्वेश्वर ने

🔴भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है--> शारदातनय

🔴दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
१• नैेसर्गिकी प्रतिभा
२• निर्मल शास्त्र ज्ञान
३• अमंद अभियोग [अभ्यास]

🔴रुद्रट और कुंतक ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
१• शक्ति, २•व्युत्तपत्ति, ३• अभ्यास

🔴वामन ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
१• लोक, २• विद्या , ३• प्रकीर्ण

🔴व्यंग के तारत्मय के आधार पर काव्य के कितने भेद माने जाते है --> 3
१•ध्वनि, २• गुणीभूत व्यंगचित्र, ३• चित्र

🔴काव्यरुप(इंद्रियगम्यता) के आधार पर काव्य के कितने भेद है --> 2
१• दृश्य काव्य, २•श्रव्यकाव्य

🔴दृश्यकाव्य[ रूपक] के कितने प्रमुख भेद है --> 10

🔴श्रव्यकाव्य के कितने भेद हैं --> 3
१•गद्य, •२ पद्य ,३ चंपू [ गद्य-पद्यमय काव्य]

🔴लक्षणा के कुल कितने भेद माने जाते हैं --> 12

🔴किस लक्षणा को अभिधा पुच्छभूता कहते है--> रूढ़ि लक्षणा को

🔴किस आचार्य ने लक्षणा के 80 भेदों का उल्लेख किया है --> विश्वनाथ ने

🔴मम्मट ने लक्षणा के कितने भेदों का उल्लेख किया है --> 12

🔴किस काव्य को चित्रकाव्य कहा जाता है --> अधम काव्य को

🔴बंध के आधार पर काव्य के कितने भेद हैं --> 2 ( १• प्रबंध २• मुक्त्तक)

🔴पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को कहते हैं--> मुक्त्तक

🔴पूर्वापर सम्बन्ध निर्वाह -सापेक्ष रचना को कहते है --> प्रबंध

🔴संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है --> वाङ्मय

🔴तात्पर्य, क्या है --> अभिधा, लक्षणा, व्यंजना की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति

🔴भामह 'अभाववादी' कहलाते है क्योंकि --> उन्होंने काव्य में ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है

🔴प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक सर्वप्रथम किसने माना --> हेमचंद्र ने

🔴गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं --> 8

🔴वाच्यता असह,का अन्य नाम है --> रस ध्वनि

🔴भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं --> 6

🔴कुंतक ने वक्रोति के भेद व उपभेद माने है --> 6 भेद व 41 उपभेद

🔴हेतुर्न तु हेतव:’ पंक्ति है--> मम्मट की

🔴जनश्रुति के आधार पर किस आचार्य कोरस के प्रवर्तक होने का श्रेय दिया जाता है --> नंदिकेश्वर को

🔴भरत के नाट्यशास्त्र में भावों की संख्या 49 गिनाई है -->
१• स्थाई भाव--> 8
२• व्याभिचारी भाव--> 33
३• सात्विक भाव--> 8
8+33+8--> 49

🔴आचार्य भामह ने काव्य हेतु किसे माना है --> प्रतिभा को

🔴किस आचार्य का कथन है कि संसार में जो कुछ पवित्र उज्जवल एव दर्शनीय है ,वह श्रृंगार के भीतर समाविष्ट हो सकता --> भरत मुनि

🔴श्रृंगार रस को रसराज माना जाता हैे --> कार्य -व्यापार की व्यापकता के कारण

🔴भरत मुनि के रस सूत्र के प्रथम व्याख्याता भटलोल्लट के रस- विवेचन का सैद्धांतिक आधार है --> मीमांसा

🔴रस को दो वर्गो (सुखकारक व दुःख कारक )में बाँटकार किन आचार्य ने करुण ,भयानक,वीभत्स और रौद्र को दुःखकारक तथा शेष को सुख का कारक माना --> रामचंद्र एव गुणचन्द्र ने

🔴नवरस नामक ग्रंथ के लेखक हे --> बाबू गुलामराय

🔴'रस कलश' नामक ग्रंथ के लिए के लेखक है--> अयोध्या सिंह उपाध्याय हरिऔध

🔴सर्वप्रथम किस आचार्य ने रस को काव्य आत्मा घोषित किया--> विश्वनाथ

🔴रुद्रट तथा कुंतक ने काव्य-हेतुओं की संख्या मानी है--> 3  १• शक्ति, २•व्युत्पत्ति ”३•अभ्यास

🔴राज शेखर ने रस का प्रतिष्ठाता किसे माना है --> नंदीकेश्वर को

🔴भरत मुनि ने कितने रस, कितने गुण, कितने दोष तथा कितने अलंकारों का उल्लेख किया है --> रस--> 8, गुण--> 10, दोष--> 20, अलंकार--> 4

🔴शब्दार्थो सहित काव्यम् , काव्य काव्य की इस परिभाषा में दोष है--> अतिव्याप्ति

🔴प्रेयान नामक नवीन रस की उद्भावना किस आचार्य ने की।--> रुद्रट

🔴आलोक का हिंदी भाष्य किसने लिखा--> आचार्य विश्वेश्वर ने

🔴भावप्रकाश नामक ग्रंथ के रचयिता है--> शारदातनय

🔴दण्डी ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
१• नैेसर्गिकी प्रतिभा
२• निर्मल शास्त्र ज्ञान
३•अमंद अभियोग[अभ्यास]

🔴रुद्रट और कुंतक ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
१•शक्ति
२•व्युत्तपत्ति
३• अभ्यास

🔴वामन ने कितने काव्य हेतु माने है --> 3
१• लोक,
२•विद्या ,
३•प्रकीर्ण

🔴व्यंग के तारत्मय के आधार पर काव्य के कितने भेद माने जाते है --> 3
१• ध्वनि,
२• गुणीभूत व्यंगचित्र ,
३• चित्र

🔴काव्यरुप(इंद्रियगम्यता) के आधार पर काव्य के कितने भेद है --> 2
१• दृश्य काव्य,
२• श्रव्यकाव्य

🔴दृश्यकाव्य[ रूपक] के कितने प्रमुख भेद है --> 10

श्रव्यकाव्य के कितने भेद हैं --> 3
१• गद्य,
२. पद्य ,
३. चंपू [गद्य-पद्यमय काव्य]

🔴लक्षणा के कुल कितने भेद माने जाते हैं --> 12

🔴किस लक्षणा को अभिधा पुच्छभूता कहते है--> रूढ़ि लक्षणा को

🔴किस आचार्य ने लक्षणा के 80 भेदों का उल्लेख किया है --> विश्वनाथ ने

🔴मम्मट ने लक्षणा के कितने भेदों का उल्लेख किया है --> 12

🔴किस काव्य को चित्रकाव्य कहा जाता है --> अधम काव्य को

🔴बंध के आधार पर काव्य के कितने भेद हैं --> 2
१• प्रबंध,
२• मुक्त्तक

🔴पूर्वापर सम्बन्ध निरपेक्ष काव्य -रचना को कहते हैं--> मुक्त्तक

🔴पूर्वापर सम्बन्ध निर्वाह -सापेक्ष रचना को कहते है --> प्रबंध

🔴संस्कृत में साहित्य के लिए किस शब्द का प्रयोग होता है --> वाङ्मय

🔴'तात्पर्य' क्या है --> अभिधा, लक्षणा, व्यंजना की तरह चौथे प्रकार की नई शब्द-शक्ति

🔴भामह 'अभाववादी' कहलाते है क्योंकि --> उन्होंने काव्य में ध्वनि की सत्ता स्वीकार नहीं की है

🔴प्रतिभा मात्र को ही काव्य का हेतु आवश्यक सर्वप्रथम किसने माना --> हेमचंद्र ने

🔴गुणिभूत व्यंग के कितने भेद होते हैं --> 8

🔴वाच्यता असह, का अन्य नाम है --> रस ध्वनि

🔴भरत ने हास्य रस के कितने भेद माने हैं --> 6

🔴कुंतक ने वक्रोति के भेद व उपभेद माने है --> 6 भेद , व 41 उपभेद

🔴'हेतुर्न तु हेतव:' पंक्ति है--> मम्मट की

🔴जनश्रुति के आधार पर किस आचार्य कोरस के प्रवर्तक होने का श्रेय दिया जाता है --> नंदिकेश्वर को।

मंगलवार, 21 अप्रैल 2020

हिन्दी की कुछ पत्रिकाएं

उदन्त मार्तंड- साप्ताहिक30 मई 1826कलकत्ताजुगल किशोर
2बंगदूत- साप्ताहिक1829कलकत्ताराजा राम मोहन राय
3प्रजामित्र- साप्ताहिक1834कलकत्ता
4बनारस अख़बार-साप्ताहिक1845बनारसराजा शिव प्रसाद सिंह
5मार्तंड- साप्ताहिक1846कलकत्तामो. नसीरुद्दीन
6सुधाकर- साप्ताहिक1850काशीबाबु तारा मोहन मित्र
7बुद्ध‌‍ि प्रकाश1852आगरामुंशी सदासुखलाल
8प्रजा हितैषी1855आगराराजा लक्ष्मण सिंह
9कवि वचन सुधा- मासिक1868काशीभारतेंदु
10हरिश्चन्द्र मैगजीन- मासिक1873बनारसभारतेंदु
11बाल बोधनी- मासिक1874बनारसभारतेंदु
12काशी पत्रिका- साप्ताहिकअलीगढ़बलदेव प्रसाद
13भारत बंधु- साप्ताहिकअलीगढ़तोता राम
14भारत मित्रकलकत्तारूद्र दत्त
15हिंदी प्रदीप- मासिक1877प्रयागबाल कृष्ण भट्ट
16आनंद कादम्बिनी- मासिक1881मिर्जापुरबदरी नारायण चौधरी
17भारतेंदु1884वृंदावनपं. राधा चरण गोस्वामी
18देवनागरी प्रचारकमेरठ
19प्रयाग समाचारलखनऊदेवकी नंदन त्रिपाठी
20ब्राह्मण- मासिक1883कानपुरप्रताप नारायण मिश्र
21हिन्दूस्तान- दैनिकइंग्लैंडराजा रामपाल सिंह
22इंदु- मासिकलाहौर
23नागरी नीरद- साप्ताहिकमिर्जापुरबदरी नारायण चौधरी
24नागरी प्रचारिणी पत्रिका- त्रैमासिक1896काशीवेणी प्रसाद
25उपन्यास- मासिक1898काशीगोपाल राम गहमरी
26सरस्वती- मासिक1900काशी, बाद में इलाहाबादचिंतामणि घोष/ श्याम सुंदर दास (1902)/ महावीर प्रसाद द्विवेदी (1903)
27सुदर्शन- मासिक1900काशीदेवकीनंदन/माधव
28समालोचक- मासिक1902जयपुरगुलेरी
29अभ्युदय- साप्ताहिकप्रयागमदन मोहन मालवीय
30इंदु- मासिक1909काशीप्रकाश कुमार उपाध्याय
31मर्यादा- मासिक1909प्रयागकृष्ण कान्त मालवीय/संपूर्णानंद/ प्रेमचंद
32प्रताप- साप्ताहिक1913कानपुरगणेश शंकर विद्यार्थी
33चाँदमहादेवी वर्मा
34प्रभा1913खंडवा, बाद में कानपुरकालू राम, बाद में कानपुर में बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’/माखनलाल चतुर्वेदी
35माधुरी1922लखनऊदुलारे लाल भार्गव/ रूप नारायण पांडेय/ कृष्ण बिहारी मिश्र/ प्रेमचंद(1928-31)
36सुधा- मासिक1929लखनऊदुलारेलाल भार्गव
37कल्याण1925गीता प्रेस- गोरखपुर-
38विशाल भारत- मासिक1928कलकत्ताबनारसीदास चतुर्वेदी
39हंस(1)-1930 ( 2) 1984 "(१)-बनारस (२)-दिल्ली(1)- प्रेमचंद (2)- राजेन्द्र यादव
40आदर्श + मौजीकलकत्ताशिव पूजन सहाय
41साहित्य सन्देश- मासिक1937आगराबाबू गुलाब राय
42मतवाला- साप्ताहिक1923कलकत्तामहादेव प्रसाद सेठ/ शिव पूजन सहाय/ निराला
43जागरण- साप्ताहिक132बनारसशिव पूजन सहाय/ प्रेमचंद(1932)
44भारत- अर्धसप्ताहिकइलाहाबादनंद दुलारे वाजपेयी
45नवजीवन- साप्ताहिक  1921अहमदाबादगाँधी
46देश- साप्ताहिक1920पटनाराजेन्द्र प्रसाद
47कर्मवीर- साप्ताहिक1924जबलपुरमाखनलाल चतुर्वेदी
48कहानी, नई कहानियाँ, उपन्यासभैरव प्रसाद गुप्त
49सैनिकआगराकृष्ण दत्त पालीवाल
50प्रतीक- दृमासिक1947इलाहाबादअज्ञेय
51रूपाभ- मासिक1938पन्त/ नरेंद्र शर्मा
52कल्पना- दृमासिक1949हैदराबादआर्येन्द्र शर्मा
53धर्मयुग- साप्ताहिक1950बम्बईधर्मवीर भारती
54आलोचना- त्रैमासिक1951दिल्लीशिवदान सिंह चौहान/ धर्मवीर भारती/रघुवंश/ साही/ नंददुलारे वाजपेयी/ नामवर सिंह
55नये पत्ते-1953इलाहाबादलक्ष्मी कान्त वर्मा/ रामस्वरूप चतुर्वेदी
56नयी कविता- अर्द्धवार्षिक1954इलाहाबादजगदीश गुप्त, रामस्वरुप चतुर्वेदी
57ज्ञानोदय- मासिक1955कलकत्ताकन्हैया लाल मिश्र
58निकष- साप्ताहिक1956इलाहाबादधर्मवीर भारती/ लक्ष्मीकांत वर्मा
59कृति1958दिल्लीनरेश मेहता
60समालोचक- मासिक 1958आगरारामविलास शर्मा
61पहल- त्रैमासिक1960जयपुरज्ञानरंजन
62क ख ग- त्रैमासिक1963इलाहाबादरघुवंश, लक्ष्मीकांत वर्मा, रामस्वरूप चतुर्वेदी
63दिनमान-साप्ताहिक1965दिल्लीरघुवीर सहाय
641-पूर्वाग्रह- मासिक 2-समास1974भोपालअशोक वाजपेयी
65वर्तमान साहित्य1984इलाहाबादविभूति नारायण राय
66कथादेश1997दिल्लीहरि नारायण
67नया खूनमध्य प्रदेशमुक्तिबोध