कामायनी महाकाव्य का परिचय
कामायनी महाकाव्य का परिचय में बता दें कि इसको आधुनिक हिन्दी साहित्य का गौरवग्रन्थ माना गया है। यह रहस्यवाद का प्रथम महाकाव्य है। सृष्टि के रहस्य पर विवाद करने वाली दो मुख्य विचारधाराएँ हैं; एक भारतीय, दूसरी पाश्चात्य। पाश्चात्य विचार धारा जो डारविन के सिद्धान्त पर आधारित है। भारतीय विचार मनस्तत्व प्रधान है।
प्रकाशन वर्ष – 1935
कुल सर्ग – 15
सर्ग का क्रम – चिंता आशा श्रद्धा काम वासना लज्जा कर्म ईर्ष्या इडा स्वप्न संघर्ष निर्वेद दर्शन रहस्य आनंद
अंगीरस – शांत (निर्वेद)
मुख्य पात्र – मनु, श्रद्धा, इडा कुमार
मुख्य छंद – ताटक
दर्शन – शैव
प्रतीक – मनु – मन, श्रद्धा – हृदय, इडा – बुद्धि,कुमार – मानव
सर्गों में विशेष छंद
आल्हा छंद – चिंता सर्ग आशा सर्ग स्वप्न सर्ग निर्वेद सर्ग
लावनी छंद – रहस्य सर्ग इडा सर्ग श्रद्धा सर्ग काम सर्ग लज्जा सर्ग
रोला छंद – संघर्ष सर्ग
सखी छंद – आनन्द सर्ग
रूपमाला छंद – वासना सर्ग
पुरस्कार – मंगलाप्रसाद पारितोषिक
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